Share Market in Hindi शेयर मार्केट में पैसा कैसे लगाए पूरी जानकारी
नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में हम आपको शेयर तथा शेयर बाजार के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे है जैसे की शेयर क्या होता है शेयर बाजार क्या होता है स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है शेयर कैसे खरीदते - बेचते है शेयर से मुनाफा कैसे कमाए तथा और भी कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ है आपको इस पोस्ट में बताने जा रहे है।
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शेयर मार्केट |
शेयर क्या होता है
शेयर का मतलब होता है हिस्सा जब भी हम किसी कम्पनी का शेयर खरीदते
है तो हम उस कंपनी का एक हिस्सा खरीदते है, और हम उस कंपनी के शेयर धारक या
पार्टनर बन जाते है, हम जितने ज्यादा किसी कम्पनी के शेयर खरीदते है उतने बड़े
पार्टनर हम उस कंपनी में बन जाते है। इसके बाद यदि कंपनी को फायदा होता है तो
हमें भी फायदा होता है और यदि कंपनी को नुक्सान होता है तो हमे भी नुक्सान
होता है।
शेयर को स्टॉक (STOCK) या इक्विटी (EQUITY) भी कहते है।
कोई भी कंपनी शेयर क्यों निकालती है
कम्पनियाँ अपने बिजनस को बढ़ाने के लिए या फिर अपना लोन चुकाने के लिए या फिर किसी और जरुरत के लिए अपनी कम्पनी का कुछ हिस्सा शेयर के रूप में जनता को बेचकर जनता से पैसा इक्कठा करती है। इसे हम एक उदाहरण के द्वारा समझ सकते है।
जैसे :- मान लीजिये की एक गणपति स्वीट्स
के नाम से एक मिठाई की दुकान है वह दुकान बहुत अच्छी चलती है। उस दुकान की
कीमत जमीन, बिल्डिंग, सामान तथा सेटअप के साथ 1 करोड़ रूपए है। अब
दुकान बहुत अच्छी चलती है तो दुकान का मालिक ऐसी एक और दुकान खोलना चाहता है,
लेकिन उसके पास केवल 60 लाख रूपए ही है 40 लाख रूपए कम पड़ रहे है तो अब वो
क्या करेगा।
अब उसकी कम्पनी के शेयर शेयरबाजार पर उपलब्ध है जहां से उन्हें कोई भी खरीद सकता है यदि वह स्वयं भी चाहे तो वह भी अपने शेयर वापस खरीद सकता है, और अपनी कम्पनी का 100 % का मालिक बन सकता है।
शेयर बाजार में कम्पनियों के शेयर ख़रीदे और बेचे जाते है लेकिन शेयर की खरीद और बिक्री का काम स्टॉक एक्सचेंज में होता है। भारतीय शेयर बाजार में दो स्टॉक एक्सचेंज है 1. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE), और 2. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) इन दोनों से मिलकर ही भारतीय शेयर बाजार बना है। इसे इस प्रकार भी समझ सकते है की भारतीय शेयर बाजार में शेयर की खरीद और बिक्री के लिए दो मंडिया है BSE और NSE.
इस प्रकार स्टॉक एक्सचेंज खरीददार और बेचने वालो को एक प्लेटफार्म उपलब्ध करता है जहाँ शेयर्स को आसानी से ख़रीदा या बेचा जा सकता है।
वो बैंक से लोन ले सकता है, पर लोन की हर महीने ब्याज के साथ क़िस्त
भरनी पड़ेगी। वो दोस्तों या रिस्तेदारो से पैसा ले सकता है, पर इतनी बड़ी रकम
उसे कोई नहीं देगा। वो किसी पार्टनर से पैसा ले कर उसके साथ काम कर
सकता है, पर उसे अकेले ही काम करना है वो किसी पार्टनर के साथ काम नहीं करना
चाहता।
इसलिए अब वो जनता से पैसा उठाएगा और जनता से पैसा उठाने के लिए
वो अपनी गणपति स्वीट्स नाम की दुकान को कम्पनी के रूप में
बनाकर शेयर मार्किट पर रजिस्टर्ड करा लेता है, अब वो 40 लाख के लिए अपनी कम्पनी का 40% हिस्सा (क्योकि उसकी कंपनी या दुकान की कीमत 1 करोड़ है) जनता के खरीदने के लिए शेयर मार्किट पर लिस्ट कर देता है। अब जनता
में से एक साथ 40 लाख रूपए तो कोई देगा नहीं, पर बहुत सारे लोग मिलकर छोटा
छोटा हिस्सा जरूर खरीद सकते है, इसलिए अब वो 40 लाख रूपए के 1 लाख हिस्से
कर देता है और 1 लाख शेयर बना लेता है, और अब उस हर एक शेयर की
कीमत 40 रूपए होती है। 40 रूपए कीमत होने के कारण कोई छोटे
से छोटा व्यक्ति भी उस शेयर को खरीद सकता है, और जब जनता 40 रूपए पर उसके 1
लाख शेयर खरीद लेती है तो उसे 40 लाख रूपए मिल जाते है, इस प्रकार अब
वो नई दुकान खोल कर अपना बिजनस बढ़ा सकता है।
अब उसकी कम्पनी के शेयर शेयरबाजार पर उपलब्ध है जहां से उन्हें कोई भी खरीद सकता है यदि वह स्वयं भी चाहे तो वह भी अपने शेयर वापस खरीद सकता है, और अपनी कम्पनी का 100 % का मालिक बन सकता है।
जब कोई कंपनी पहली बार जनता को अपने शेयर बेचती है तो उसे IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) कहते है।
अब सवाल उठता है की आखिर जनता उस कम्पनी के शेयर क्यों खरीदेगी
इसका जवाब है की जनता केवल उसी कंपनी के शेयर खरीदती है, जिस
कंपनी के बारे में उन्हें मालूम होता है की यह कंपनी अच्छा काम कर रही है,
हर साल मुनाफा कमा रही है और आगे भी मुनाफा कमाती रहेगी जिससे भविष्य
में इस कम्पनी के शेयरो का भाव बढ़ने की पूरी सम्भावना
है, इसलिए जनता उन कम्पनियों पर भरोसा करके दांव लगाती है और
उनके शेयर खरीद लेती है। यह काम केवल जानकारी और भरोसे पर ही होता है।
इसलिए यदि कंपनी को नुक्सान होता है तो शेयर धारकों को भी नुक्सान
होता है, और कंपनी को फायदा होने पर शेयर धारकों को भी फायदा होता है, इसलिए शेयर मार्केट के काम को जोखिम
वाला काम कहते है।
नोट :- जो भी कम्पनियाँ शेयर मार्केट पर रजिस्टर्ड होती है उन्हें हर 3 महीने में (क्वाटर्ली) अपने
प्रॉफिट या नुक्सान की पूरी जानकारी तथा अपने खाता बही की पूरी
जानकारी अपने शेयर धारको को देनी होती है इसे वो अपनी वेबसाइट पर
डिक्लेअर करते है जिससे सभी शेयर धारक कंपनी के अच्छे या बुरे
परफॉरमेंस के बारे में जान सके। इस प्रकार शेयर धारको को यह पता लगता रहता
है की कंपनी मुनाफा कमा रही है या नहीं।
शेयर खरीदने से 2 प्रकार से फायदा हो सकता है
1. शेयर के भाव बढ़ने पर 2 . डिविडेंड से
नोट :- कम्पनियाँ अपने लाभ से कुछ हिस्सा अपने शेयर धारको को देती है,
जिसे डिविडेंड कहते है। डिविडेंड देना किसी भी कम्पनी के लिया बाध्यकारी नहीं होता है, कई
कम्पनिया अपनी ख़ुशी से अपने शेयर धारकों को डिविडेंड देती है बहुत
सी कम्पनिया डिविडेंड नहीं देती है।
शेयर चढ़ते -गिरते क्यों है
किसी भी शेयर के चढ़ने गिरने के 2 कारण सबसे महत्वपूर्ण होते है पहला
कारण होता है खबरें तथा दूसरा कारण होता है डिमांड और सप्लाय ये
दोनों कारण एक दूसरे से जुड़े हुए होते है।
जैसे की मान लेते है एक कंपनी है मारुती जो की कार बनती है, और उसके
एक शेयर का भाव 6250 रूपए है, अब एक सकरात्मक खबर या रिपोर्ट आती
है की अगली तिमाही में मारुती का प्रॉफिट बढ़ने की उम्मीद है, तो लोगो को लगता
है की इस मारुती कंपनी के शेयर का दाम भविष्य में बढ़ेगा और उस
कंपनी के शेयर की डिमांड बढ़ जाती है, क्योकि जिसके पास भी मारुती कंपनी
के शेयर है वो बेचेगा नहीं क्योकि वो उसे भविष्य में ज्यादा दाम पर
बेचना चाहता है, लेकिन जिनके पास मारुती कंपनी का शेयर नहीं है वो शेयर
खरीदने के लिए जिनके पास शेयर है उन्हें 6250 रूपए से
ज्यादा का ऑफर देगा और उनसे शेयर खरीद लेगा, क्योकि उसे लगता है की
भविष्य में इस कम्पनी का शेयर लगभग 7000 तक जा सकता है इस प्रकार शेयरो
की कीमत बढ़ जाती है।
इसी प्रकार जब कंपनी हर तिमाही में अच्छा रिजल्ट देती है ज्यादा
प्रॉफिट कमाती है या कोई नई तकनीक लेकर आती है, ऐसी सभी सकारात्मक चीजों से
लोगो में उस कंपनी के प्रति विश्वास बढ़ता है जिससे उसके शेयर की डिमांड
बढ़ती है और उसके शेयर का भाव भी बढ़ता है।
इसी प्रकार जब किसी कंपनी को नुक्सान होता है तो उसके शेयर का भाव कम
होने लगता है क्योकि जब किसी कंपनी को नुक्सान होता है तो लोग उस कंपनी का
शेयर नहीं खरीदना चाहते है उसकी डिमांड कम हो जाती है और जिनके पास भी ऐसी
कंपनी के शेयर होते है वो उन्हें कम दाम पर बेचकर अपना पैसा बचाने
की कोशिश करते है। और ऐसे लोग जो सोचते है की अभी कम दाम पर शेयर मिल
रहा है तो खरीद लेते है, बाद में शेयर का दाम बढ़ जायेगा तब बेच
देंगे वो लोग शेयर बेचने वालों से कम दाम पर शेयर खरीद लेते है, इस
प्रकार उस कम्पनी के शेयर के भाव गिर जाते है।
शेयर मार्केट क्या होता है
शेयर बाजार में कम्पनियों के शेयर ख़रीदे और बेचे जाते है लेकिन शेयर की खरीद और बिक्री का काम स्टॉक एक्सचेंज में होता है। भारतीय शेयर बाजार में दो स्टॉक एक्सचेंज है 1. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE), और 2. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) इन दोनों से मिलकर ही भारतीय शेयर बाजार बना है। इसे इस प्रकार भी समझ सकते है की भारतीय शेयर बाजार में शेयर की खरीद और बिक्री के लिए दो मंडिया है BSE और NSE.
BSE और NSE पर कम्पनियों के शेयर खरीदने और बेचने के लिए लिस्ट किये
जाते है या लगाए जाते है। किसी कंपनी के शेयर BSE और NSE दोनों
स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट किये जा सकते है पर कुछ कम्पनियाँ
केवल BSE पर लिस्ट है और कुछ कम्पनियाँ केवल NSE पर लिस्ट है और
कुछ कम्पनियाँ BSE और NSE दोनों स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट
है।
सेंसेक्स और निफ़्टी क्या होते है
सेंसेक्स और निफ़्टी को आप एक इंडिकेटर या रिपोर्ट कार्ड मान सकते है, इससे यह पता लगता है की मार्केट की सेहत या परफोरमेंस कैसी है। यदि निफ़्टी और सेंसेक्स हरे निशान पर बंद होते है तो इसका मतलब होता है की मार्केट ने पिछले दिन की तुलना में अच्छा परफॉरमेंस किया और शेयरो की खरीददारी अधिक हुई और यदि निफ़्टी और सेंसेक्स लाल निशान पर बंद होते है तो इसका मतलब होता है की मार्केट ने पिछले दिन की तुलना में बुरा परफॉरमेंस किया और शेयरो की बिकवाली अधिक हुई।सेंसेक्स
सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सूचकांक होता है BSE में 5000 से ज्यादा कम्पनिया रेजिस्टर्ड है अब एक साथ 5000 कम्पनियो का परफॉरमेंस रोज चेक करना आसान नहीं होता है इसलिए उन 5000 कम्पनियो में से 30 सबसे बड़ी कम्पनियाँ जो की अलग अलग सेक्टर से होती है उनका एक परफॉरमेंस चार्ट बनाया जाता है जिसे सेंसेक्स कहते है और सेंसेक्स को देखकर यह मान लिया जाता है की (BSE) की सभी 5000 कम्पनियो ने कैसा परफॉरमेंस किया।निफ़्टी
निफ़्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का सूचकांक होता है NSE में 1600 से ज्यादा कम्पनिया रेजिस्टर्ड है निफ़्टी उन 1600 कम्पनियो में से 50 सबसे बड़ी कम्पनियो का परफॉरमेंस चार्ट होता है जिसे देखकर यह मान लिया जाता है की NSE की सभी 1600 कम्पनियो का परफॉरमेंस कैसा है।स्टॉक एक्सचेंज क्या और कैसे काम करता है
स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसी जगह या मंडी होती है जहा शेयर खरीदने वाले और
शेयर बेचने वालो के बिच शेयर और पैसो का लेन देन होता
है।
जब कम्पनिया अपने शेयर पहली बार IPO के माध्यम से जनता को बेच देती
है, तो कम्पनी को उसके पैसे मिल जाते है उसके बाद वो अपने काम में लग
जाती है। अब उस कम्पनी को शेयर की खरीद बिक्री से कोई मतलब नहीं
होता। अब केवल जनता जिसने शेयर ख़रीदे है वो आपस में शेयरो का लेन -
देन करती रहती है, जैसे की किसी को मारुती कम्पनी के शेयर चाहिए तो
अब वो मारुती कम्पनी से तो शेयर ख़रीदेगा नहीं क्योकि मारुती ने
तो अपने शेयर IPO के माध्यम से एक बार बेच दिए, अब तो वो केवल उससे
शेयर खरीद सकता है जिनके पास मारुती के शेयर हों और वो
शेयर बेचना चाहते हो। इस प्रकार का यह लेन देन स्टॉक एक्सचेंज
पर होता है। और यह सारा लेन देन इंटरनेट के माध्यम से होता है।
स्टॉक एक्सचेंज पर किसी शेयर के लिए खरीददार और बेचनेवाले अपनी अपनी बोलियाँ
लगते है और जब लोगो को लगता है की सही दाम मिल रहे है तो वो शेयर खरीद लेते
है या फिर बेच देते है। स्टॉक एक्सचेंज पर हर स्टॉक या शेयर की एक
लिस्ट बनी होती है, जिसमे एक ओर सबसे ज्यादा कीमत देने वाले खरीददारों
की बोली सबसे ऊपर दिखाई देती है तथा दूसरी ओर सबसे कम कीमत पर बेचने
वालो की बोली सबसे ऊपर दिखाई देती है, इस प्रकार जिसे जो कीमत सही लगती है वो
उस पर शेयर खरीद या बेच देता है। और जिस भी कीमत पर शेयर ख़रीदा या बेचा जाता
है वो कीमत लगातार अपडेट होती रहती है जिसे देख कर पता लगाया जा सकता है की
पिछले दिन की तुलना में शेयर का भाव कितना ऊपर या निचे गया। इसे हम इस
चार्ट के द्वारा समझ सकते है।
इस प्रकार स्टॉक एक्सचेंज खरीददार और बेचने वालो को एक प्लेटफार्म उपलब्ध करता है जहाँ शेयर्स को आसानी से ख़रीदा या बेचा जा सकता है।
स्टॉक ब्रोकर क्या होता है
जब हम किसी कंपनी का शेयर खरीदना चाहते है तो हम सीधे स्टॉक एक्सचेंज जाकर
शेयर नहीं खरीद सकते है, हमें शेयर खरीदने के लिया एक अकाउंट खोलना पड़ता है
जिसे डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट कहते है। ये दो अकाउंट होते है पर एक
अकाउंट की तरह काम करते है, और यह अकाउंट स्टॉक ब्रोकर खोलता
है।
स्टॉक ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज और हमारे बिच में
मध्यस्ता का काम करता है स्टॉक ब्रोकर हमारे आर्डर को
स्टॉक एक्सचेंज पर लगता है और स्टॉक एक्सचेंज से शेयर खरीदने के बाद
वो शेयर को हमारे खाते में जमा कर देता है इस काम को करने के लिए
स्टॉक ब्रोकर कुछ फीस या कमीशन लेता है जिसे ब्रोकरेज
कहते है।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट
जिस प्रकार बैंक के अकाउंट में हमारे पैसे जमा होते है उसी
प्रकार डीमैट अकाउंट में हमारे शेयर जमा होते है, तथा ट्रेडिंग
अकाउंट के द्वारा हम शेयर्स का खरीदना बेचना करते है। एक बार जब हम किसी
स्टॉक ब्रॉकर के पास अपना डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोल लेते है तो
हम BSE और NSE किसी भी स्टॉक एक्सचेंज से अपने शेयर खरीद सकते
है।
नोट :- BSE से ख़रीदे गए शेयर BSE पर ही बेचे जा सकते है उसी
तरह NSE से ख़रीदे गए शेयर NSE पर ही बेचे जा सकते
है।
स्टॉक ब्रोकर कितने प्रकार के होते है
स्टॉक ब्रॉकर दो प्रकार के होते है- फुल सर्विस ब्रोकर :- फुल सर्विस ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज पर आर्डर लगाने के साथ साथ आपको कई तरह की फाइनेंसियल एडवाइस भी देता है। फुल सर्विस ब्रोकर्स के अपने अलग इन्वेस्टमेंट बैंकिंग और रिसर्च डिपार्टमेंट होते है ये मार्केट रिसर्च करके आपको एडवाइस देते है की कौनसा शेयर खरीदना चाहिए और कौनसा शेयर कब बेच देना चाहिए इतनी सारी सर्विसेज देने के कारण फुल सर्विस ब्रॉकर्स के ब्रोकरेज चार्ज बहुत ज्यादा होते है। ICICI Direct, HDFC Securites, Share Khan, Kotak Securites आदि फुल सर्विस ब्रॉकर है।
- डिस्काउंट ब्रोकर :- डिस्काउंट ब्रोकर केवल हमारे आर्डर स्टॉक एक्सचेंज पर लगता है वह हमें स्टॉक एडवाइस या अन्य सर्विस नहीं देता हमें स्वयं ही मार्केट रिसर्च करके अच्छे शेयर का पता लगाना पड़ता है। डिस्काउंट ब्रोकर के ब्रोकरेज चार्ज बहुत कम होते है। Zerodha, Upstox, SAMCO, Trade Smart, SAS Online आदि डिस्काउंट ब्रोकर है।
ये सभी ब्रोकर्स SEBI (Securities and Exchange Board of India) से रेजिस्टर्ड होते है
शेयर कैसे खरीदें
शेयर खरीदने के लिए सबसे पहले आपको किसी भी एक शेयर ब्रोकर के
साथ एक डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलना पड़ता है। मार्केट में बहुत सारे
स्टॉक ब्रॉकर्स उपलब्ध है आपको जिसकी सर्विस अच्छी लगे तथा जिसकी
ब्रोकरेज कम लगे आप उसके साथ डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकते
है।
डीमैट और ट्रेडिंग आकउंट खोलने के बाद आप अपने लैपटॉप , कंप्यूटर या
मोबाइल के द्वारा स्टॉक ब्रोकर की वेबसाइट या एप्लीकेशन पर आसानी से शेयर
खरीद और बेच सकते है या फिर आप अपने स्टॉक ब्रोकर को फोन करके कह सकते
है, की मेरे लिए उस कंपनी के इतने शेयर खरीद दो पर इसके लिए आपके
अकाउंट में पैसे होना जरुरी है।
आप अपने लैपटॉप या मोबाइल पर स्वयं ही शेयर खरीदते है, लेकिन फिर भी
स्टॉक ब्रोकर का ब्रोकरेज चार्ज लगता है क्योकि आप स्टॉक ब्रोकर की
वेबसाइट या एप्लीकेशन का प्रयोग शेयर खरीदने के लिए करते है। इसके
अलावा फ़ोन के द्वारा आपके कहने पर जब स्टॉक ब्रोकर आपके लिए शेयर खरीदता
है तो उसके ब्रोकरेज के अलावा एक्स्ट्रा चार्ज लगते है।
शेयर खरीदने बेचने को ट्रेडिंग कहते है तथा शेयर खरीदने के दो
तरीके होते है
इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading):-
इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर जिस दिन शेयर ख़रीदा जाता है उसे उसी दिन
बेचना पड़ता है, इस प्रकार की ट्रेडिंग में ब्रोकरेज चार्ज बहुत ही कम लगते
है, लेकिन यह बहुत जोखिम भरा तरीका होता है, क्योकि शेयर के भाव ऊपर निचे
होते रहते है यदि आप सुबह शेयर को ज्यादा भाव में खरीद लेते है और शाम को
यदि भाव कम हो गया तो भी आपको उस शेयर को नुक्सान में भी हर हाल में बेचना
पड़ता है जिससे बहुत नुकसान हो जाता है इसलिए यह तरीका जुए की तरह होता
है।
डिलेवरी बेस्ड ट्रेडिंग (Delivery Based Trading) :-
डिलेवरी बेस्ड ट्रेडिंग शेयर खरीदने का सबसे अच्छा तरीका होता
है, डिलेवरी बेस्ड ट्रेडिंग के द्वारा जब कोई शेयर ख़रीदा जाता है तो वह हमारे डीमैट अकाउंट में जमा हो
जाता है और हम उसे अनिश्चित काल के लिए रख सकते है हम उसे जब
चाहे तब बेच सकते है। यदि हमें लगे की हमें आज ही मुनाफा हो रहा है
तो हम उसे उसी दिन बेच सकते है या फिर हमें लगे की यह शेयर 2 से 3 साल
रखने पर हमें फायदा होगा तो हम उसे 2 से 3 साल के लिए या फिर जब तक चाहे
तब तक अपने डीमैट अकाउंट में रख सकते है। डिलेवरी बेस्ड
ट्रेडिंग में ब्रोकरेज चार्ज थोड़ा ज्यादा लगता है।
हमें कौनसे शेयर खरीदने चाहिए
हमें किसी भी कम्पनी का शेयर शरीदने से पहले उस कम्पनी के बारे में पूरी
जानकारी ले लेनी चाहिए की यह कंपनी अच्छा काम कर रही है या नहीं,
इस कंपनी को कितना फायदा हो रहा है, इस कंपनी पर कोई कर्ज तो नहीं है, इस
कंपनी के फ्यूचर प्लान क्या है, यह कम्पनी शेयर धारको को डिविडेंड देती
है या नहीं, इस कम्पनी के शेयर का परफॉरमेंस पिछले सालो में कैसा रहा है
, तथा भविष्य में इस कम्पनी के लिए कितनी सम्भावनाएँ है। कहने का
मतलब यह है की हमें किसी भी कम्पनी का शेयर खरीदने से पहले उस कंपनी
के बारे में पुरी जानकारी लेनी चाहिए तथा हमें किसी और के कहने
पर कभी कोई शेयर नहीं खरीदना चाहिए।
शेयर बाजार में बहुत सारी कम्पनियाँ होती है जिनके एक शेयर
का मूल्य एक रूपए से कम भी हो सकता है या फिर पचास हजार रूपए से
ज्यादा भी हो सकता है। कई लोग केवल शेयर की कीमत देख कर शेयर खरीद लेते है।
लोग सोचते है की 50 पैसे का शेयर है अगर ये 1 रुपया भी हो गया तो हमारे पैसे
दोगुने हो जाएंगे पर उस 50 पैसे का 1 रुपया कभी नहीं होता और उनके पैसे डूब
जाते है। इसलिए कीमत देखकर कभी कोई शेयर नहीं ख़रिदना चाहिए, हमें यह
जरूर जानना चाहिए की अगर किसी कंपनी का शेयर 50 पैसे का है तो क्यों है पहले
उस शेयर का भाव क्या था अगर वो शेयर लगातार गिरते गिरते 50 पैसे का हुआ है तो
हमें उसे कभी नहीं खरीदना चाहिए ऐसे शेयर को ख़रीदना अपने पैसो को आग
लगाने के बराबर होता है।
इसी प्रकार यदि किसी अच्छी कंपनी का शेयर यदि 3000 या 4000
का हो या उससे भी महंगा हो तो हमें यह नहीं सोचना चाहिए की यह
शेयर तो इतना महंगा है ये और ज्यादा नहीं बढ़ सकता। कोई भी शेयर कितना भी
महंगा हो यदि उसकी कम्पनी अच्छा काम कर रही है मुनाफा कमा रही है तो उस
कंपनी के शेयर की डिमांड हमेशा बनी रहती है और उस कम्पनी के शेयर बढ़ते
रहते है शेयर बाजार में किसी भी शेयर के भाव घटने या बढ़ने की कोई
सिमा तय नहीं होती।
शेयर खरीदने के लाभ
शेयर खरीदने का सबसे बड़ा लाभ यह होता है की शेयर बाजार किसी भी
इन्वेस्टमेंट के तरीके से ज्यादा रिटर्न देता है पर इसके लिए यह जरुरी
होता है की निवेश सही कम्पनी में और सही समय पर किया गया
हो।
कई अच्छी कम्पनियाँ अपने शेयर धारकों को डिविडेंड भी देती है जो
की एक तरह से अतिरिक्त कमाई के जैसा होता है।
शेयर खरीदने से हम किसी भी कम्पनी में पार्टनर बन जाते है यदि हम
किसी कम्पनी के शेयर एक सिमा से अधिक खरीद ले तो हम उस कम्पनी के बोर्ड ऑफ़
डाइरेक्टर में भी शामिल हो सकते है पर इसके लिए बहुत सारे पैसे खर्च करने
पड़ते है।
इनके अलावा यदि हम किसी शेयर को एक साल रखने के बाद बेचते है तो उस शेयर से
हमें चाहे जितना मुनाफा हो हमें कोई टैक्स नहीं देना होता क्योकि किसी भी
शेयर में निवेश के एक साल के बाद उसका फायदा टैक्स फ्री होता
है।
शेयर खरीदने के नुक्सान
शेयर खरीदने का सबसे बड़ा नुक्सान यह होता है की शेयर मार्केट
में बहुत अनिश्चितता होती है किसी कम्पनी का शेयर खरीदने के बाद वो
बढ़ेगा ही ऐसी कोई गारंटी नहीं होती उस कम्पनी के शेयर का भाव गिर भी
सकता है बढ़ भी सकता है या फिर ऐसा भी हो सकता है की उस कम्पनी का शेयर बहुत
लम्बे समय तक एक सिमा के अंदर स्थिर बना रहे।
शेयर बाजार खबरों और अनुमानों से चलता है पुरे विश्व की खबरो का असर शेयर
मार्केट पर होता है इसलिए चाहे जितनी अच्छी कम्पनी हो यदि उस कम्पनी
के लिए या उस कंपनी से सम्बंधित पूरी इंडस्ट्री के लिए यदि विश्व के किसी
भी कोने से कोई बुरी या नकारात्मक खबर आती है तो उस कम्पनी या उस पूरी
इंडस्ट्री के शेयर गिरने लगते है जिससे कभी कभी बहुत नुक्सान हो जाता
है।
शेयर मार्केट में बहुत ज्यादा उतर चढ़ाव होते है हो सकता है की कोई शेयर किसी
खबर के कारण एक ही दिन में 20 % गिर जाये और हो सकता है की वो इसी तरह कई
दिनों तक गिरता रहे। ऐसे शेयर में जब नुक्सान होता है तो बहुत बड़ा होता है।
इस पोस्ट में हमने पूरी कोशिश की है की हम आपको शेयर मार्केट के
बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी सरल शब्दों में दे सके जिससे आप शेयर
मार्किट को अच्छी तरह से समझ सके। पोस्ट को पूरा पढ़ने के लिए
धन्यवाद्।
धन्यवाद
ज्ञान और जानकारी
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