शिक्षा प्रणाली पर कोरोना वायरस के संभावित असर - GYAN OR JANKARI

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मंगलवार, 19 मई 2020

शिक्षा प्रणाली पर कोरोना वायरस के संभावित असर

शिक्षा प्रणाली पर कोरोना वायरस के संभावित असर


कोरोना वायरस के कारण आज पूरी दुनिया अपने घरों में कैद होकर रह गयी है, और पूरी दुनिया में हर तरह की गतिविधि पर बहुत बुरा असर पड़ा है, तथा शिक्षा प्रणाली भी इससे अछूती नहीं रह गयी है। आज करोड़ों बच्चे अपने घरों में कैद होकर अपने स्कूलों के खुलने का इंतजार कर रहें है, परन्तु आज कोरोना महामारी के इस दौर में स्कूलों को खोलना एक बहुत बड़े संकट को निमंत्रण देने के सामान होगा। इसलिए स्कूलों को खोलने से पहले इस कोरोना महामारी पर एक हद तक नियंत्रण प्राप्त कर लेना अत्यंत आवश्यक होगा ताकि बच्चो को इस घातक बीमारी के संक्रमित होने से बचाया जा सके।

कोरोना संकट लम्बे समय तक जारी रह सकता है

कोरोना महामारी के वैक्सीन की खोज अभी जारी है जिसमे कुछ महीनों से लेकर एक वर्ष तक का समय लग सकता है, परन्तु इसका वैक्सीन खोज लेने के बाद भी यह महामारी कम से कम 2 से 3 वर्ष तक पूरी दुनिया के लिए परेशानी का कारण बनी रह सकती है, इसके कई कारण है जो की इस प्रकार है :-
  • कोरोना वायरस की वैक्सीन की खोज हो जाने के बाद भी उसे अप्रूव होने में 12 से 18 महीनो का समय लग सकता है।
  • कोरोना की नयी वैक्सीन बहुत महंगी हो सकती है, जिसे सभी लोगो को उपलब्ध करना आसान नहीं होगा।
  • कोरोना की नयी वैक्सीन को सभी तक पहुंचने के लिए इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की जरुरत होगी जो की बिलकुल आसान नहीं होगा तथा इसमें बहुत अधिक समय लग सकता है।
  • कोरोना का एक संक्रमित व्यक्ति सैकड़ों लोगो को संक्रमित कर सकता है इसलिए केवल एक छोटी सी लापरवाही के कारण यह बहुत बड़े पैमाने पर फ़ैल सकता है, तथा उस अनुपात में वैक्सीन उपलब्ध कराना बिलकुल भी आसान नहीं होगा।
अतः कोरोना वायरस की वैक्सीन की खोज के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग ही इससे बचाव का एक सबसे प्रमुख साधन होगी ।

ऑनलाइन लर्निंग

कोरोना महामारी से बचने के लिए दुनिया में बहुत सी जगह शिक्षण संस्थानों द्वारा ऑनलाइन लर्निंग द्वारा शिक्षा दी जा रही है। इस प्रकार की शिक्षा कुछ समय के लिए तो उपयोगी सिद्ध हो सकती है परन्तु बहुत अधिक लम्बे समय के लिए इस प्रकार की शिक्षा व्यावहारिक नहीं कही जा सकती है, क्योकि ऑनलाइन लर्निंग में शिक्षा की गुणवक्ता कैम्पस लर्निंग की तुलना में बहुत कम होती है।

कैम्पस लर्निंग में विद्यार्थियों को लाइब्रेरी और लैब जैसी सुविधाएँ मिलती है, जो की ऑनलाइन लर्निंग में संभव नहीं है। किसी कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठकर सिमित किताबी ज्ञान तो पाया जा सकता है लेकिन यह शिक्षा प्राप्त करने का बेहतरीन तरीका नहीं है। बेहतरीन शिक्षा केवल कैम्पस लर्निंग द्वारा ही पायी जा सकती है वहाँ पर विद्यार्थी शिक्षकों से एक दूसरे के साथ मिलकर सीखते है और अनुभव प्राप्त करते है।  कैम्पस लर्निंग में विद्यार्थी शिक्षकों से किसी समस्या पर विचार-विमर्श कर सकते है, यदि कोई विषय समझ में ना आये तो शिक्षको से दुबारा पूछ सकते है, या सहपाठी विद्यार्थियों से समझ सकते है परन्तु ऑनलाइन लर्निंग में यह सब नहीं किया जा सकता है।

इनके अलावा कैम्पस में विद्यार्थी एक  दूसरे से मिलते जुलते है, दोस्त बनाते है, शिक्षकों से अच्छे सम्बन्ध बनाते है। जिसके कारण विद्यार्थी मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनते है, और वे शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर पाते है। परन्तु ऑनलाइन लर्निंग में यह सब संभव नहीं है।

अतः विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा केवल शिक्षण संस्थानों में ही दी जा सकती है, इसलिए सभी सरकारों को जल्द से जल्द कोरोना महामारी पर नियंत्रण प्राप्त करके शिक्षण संस्थानों को पुनः खोलने के प्रयास करने चाहिए।

शिक्षण संस्थानों को कोरोना महामारी से सुरक्षा हेतु कुछ मूलभूत परिवर्तनों की आवश्यकता होगी 

विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना महामारी को पूरी तरह नियंत्रित होने में 2 से 3 वर्ष तक का लम्बा समय लग सकता है और इतने लम्बे समय तक शिक्षण संस्थानों को बंद रखना विद्यार्थीओ की शिक्षा पर बहुत बुरा असर डाल सकता है। परन्तु  विद्यार्थीओ  के स्वस्थ्य के भी समझौता नहीं किया जा सकता, इसलिए कोरोना संकट के बाद शिक्षण संस्थानों को फिर से शुरू करने से पहले विद्यार्थियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की अत्यंत आवश्यकता होगी, क्योकिं कोई भी शिक्षा विद्यार्थियों के जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकती, अतः माता-पिता और सभी शिक्षण संस्थानों को अपनी व्यवस्था में कुछ ऐसे मूलभूत परिवर्तन करने की अत्यंत आवश्यकता होगी जो विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित कर सकें, तथा जिससे इस संक्रमण को शिक्षण संस्थानों में पुनः फैलने से रोका जा सके।

माता पिता और परिवार की जिम्मेदारी

शिक्षण संस्थानों के फिर से शुरू होने पर सबसे पहली जिम्मेदारी माता-पिता की बनती है की वो स्वयं को इस महामारी से सुरक्षित रखें और अपने बच्चो को भी इससे सुरक्षित रखे, जिससे बच्चे स्कुल जाने के लिए स्वस्थ रहें , इसके अलावा माता-पिता को यह भी सुनिश्चित करना होगा की यदि बच्चे को इस महामारी से सम्बंधित कोई हल्का सा भी लक्षण है तो वे उन्हें स्कुल न भेजें जिससे स्कुल के अन्य बच्चो में इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके।

माता पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को यह भी सुनिश्चित करना होगा की वे किसी भी प्रकार की यात्रा और विदेश यात्रा करते समय पूरी सावधानी बरतें और किसी भी ऐसे क्षेत्र की यात्रा न करें जो कोरोना महामारी का हॉटस्पॉट घोषित हो चूका हो।

शिक्षण संस्थानों की व्यवस्था में कुछ आवश्यक मूलभूत परिवर्तन

सर्टिफिकेशन

सभी शिक्षण संस्थानों द्वारा यह सुनिश्चित किया जा सकता है की संस्थान में आने वाले सभी विद्यार्थियों और स्टाफ के पास कोरोना से नेगेटिव होने का प्रमाण पत्र हो।

परिवहन

विद्यार्थियों और शिक्षकों को शिक्षण संस्थानों में लाने और ले जाते समय सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जाना चाहिए, इसके लिए यात्री वाहनों में वाहन की क्षमता से कम यात्री बैठे इसका ध्यान रखा जाना चाहिए, जिससे यात्रियों में पर्याप्त सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे तथा सार्वजनिक परिवहन की जगह निजी वाहनों को प्राथमिकता देनी चाहिए जिससे संक्रमण का खतरा कम किया जा सके।

व्यक्तिगत सुरक्षा

शिक्षण संस्थानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए की कोई भी विद्यार्थी और शिक्षक बिना मास्क के स्कूल में प्रवेश न करे तथा शिक्षण संस्थानों के द्वारा अपने स्तर पर मास्क और सेनेटाइजर की पूरी व्यवस्था की जा सकती है।

इसके अलावा शिक्षण संस्थानों में किसी भी प्रकार के स्पर्श अभिवादन (जैसे हाथ मिलाना आदि) पर भी रोक लगाई जा सकती है।

कक्षा में बैठने की व्यवस्था

शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों और शिक्षकों के बैठने की व्यवस्था इस प्रकार की जा सकती है की पर्याप्त सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे।

पिने के पानी की व्यवस्था

शिक्षण संस्थानों में पिने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था की जानी चाहिए तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए की संसथान में उपस्थित कोई भी व्यक्ति आपस में पानी शेयर न करे, इसके लिए शिक्षण संस्थानों में उपस्थित सभी व्यक्तियों के लिए अपनी निजी पानी की बोतल साथ में लेकर चलना अनिवार्य किया जा सकता है, तथा खाली बोतलों को भरने की व्यवस्था इस प्रकार की जानी चाहिए की पानी का मुख्य पात्र/स्रोत किसी भी प्रकार से संक्रमित न हो।

केंटीन और भोजन व्यवस्था

यदि शिक्षण संस्थानों में कैंटीन संचालित किया जाता है तो इसका पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए की कैंटीन में कार्य करने वाले सभी व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ हों तथा कैंटीन में परोसा जाने वाला खाना पूरी तरह से संक्रमण रहित हो। इसके अलावा केंटीन में स्वछता और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए।

शिक्षण संस्थानों में यह भी अनिवार्य किया जाना चाहिए की संसथान में उपस्थित कोई भी विद्यार्थी या अन्य स्टाफ आपस में भोजन या पानी शेयर न करें।

बहुत से शिक्षण संस्थानों के बाहर कुछ लोग खाने-पिने की चीजे, फ़ास्ट फ़ूड आदि बेचते है, जिनकी गुणवक्ता और स्वछता का स्तर संदेहास्पद होता है, इसलिए प्रसाशन द्वारा शिक्षण संस्थानों के बहार ऐसी किसी भी चीज की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है।

हॉस्टल

शिक्षण संस्थानों द्वारा संचालित सभी हॉस्टल में खाना, पानी, स्वछता, सेनेटाइजेशन और सोशल डिस्टेन्सिंग से सम्बंधित सभी सावधानियों का पालन किया जाना चाहिए।

स्पोर्ट्स और अन्य गतिविधियाँ

कोरोना महामारी के नियंत्रित होने तक सभी शिक्षण संस्थानों में हर प्रकार के खेल, स्पोर्ट्स और अन्य गतिविधियों को स्थागित किया जा सकता है ।

सेनेटाइजेशन

शिक्षण संस्थानों के परिसर और होस्टल्स को नियमित रूप से सेनेटाइस किया जा सकता है।

रूटीन चेकअप

शिक्षण संस्थानों और हॉस्टल में विद्यार्थियों और स्टाफ के रुटीन मेडिकल चेकअप की व्यवस्था भी की जा सकती है।

इस तरह से कुछ कठिन और जरुरी सावधानियां अपनाकर शिक्षण संस्थान पुनः खोले जा सकते है और विद्यार्थियों को सुरक्षा के साथ-साथ उन्हें अच्छी शिक्षा भी प्रदान की जा सकती है।