श्री बृहदीश्वर मंदिर की जानकारी Sri Brihadeeswarar Temple - GYAN OR JANKARI

Latest

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

श्री बृहदीश्वर मंदिर की जानकारी Sri Brihadeeswarar Temple

श्री बृहदीश्वर मंदिर Sri Brihadeeswarar Temple in Hindi


श्री बृहदीश्वर मंदिर का परिचय

बृहदीश्वर मंदिर भारत के तमिलनाडु राज्य के तंजौर शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 1010 ईस्वी में चोल सम्राट राजराजा चोल प्रथम ने करवाया था, उन्होंने 1000 साल पहले पुरे दक्षिण भारत पर शासन किया था, उन्हीं के नाम पर इस मंदिर को राजराजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर का एक और नाम पेरुवुटैयार कोविल भी है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, इस मंदिर में शिव बृहदीश्वर नाम से जाने जाते है, जिसका अर्थ होता है ब्रह्माण्ड के भगवान। यह मंदिर 240.79 मीटर लम्बे और 121.92 मीटर चौड़े आयताकार परिसर में फैला है, तथा इस मंदिर की उचाई 66 मीटर है। यह मंदिर अपने समय में विश्व की सबसे बड़ी मानव निर्मित संरचनाओं में गिना जाता था। इस मंदिर  यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है।

Brihadeeswarar-Mandir, श्री-बृहदीश्वर-मंदिर, श्री-बृहदीश्वर-मंदिर -की-जानकारी
 Sri Brihadeeswarar Temple

श्री बृहदीश्वर मंदिर की विशेस्ताएं Features of Sri Brihadisvara Temple in Hindi

श्री बृहदीश्वर मंदिर विश्व का एक मात्र मंदिर है जो पूरी तरह ग्रेनाइट से बना है, इस मंदिर में 130000 टन से अधिक ग्रेनाइट पत्थरों का उपयोग किया गया है। इस मंदिर में पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए किसी सीमेंट या चुने का प्रयोग नहीं किया गया है, बल्कि ग्रेनाइट पत्थरों को एक विशेष तकनीक द्वारा काटकर आपस में इस प्रकार फिक्स किया गया है की ये कभी अलग नहीं हो सकते। 

 

श्री बृहदीश्वर मंदिर के शिखर के ऊपर एक विशालकाय नक्काशीदार पत्थर रखा गया है, इस पत्थर का वजन 88 टन से अधिक है, यह भारी पत्थर मंदिर के आपस में फसा कर फिक्स किये गए पत्थरों को जोड़े रखने का काम करता है।  इतने भारी पत्थर को 1000 साल पहले इतनी ऊंचाई पर बिना किसी क्रेन की सहायता के कैसे रखा गया होगा यह एक आश्चर्य की बात है। 

 

श्री बृहदीश्वर मंदिर से 100 किलोमीटर के दायरे में कहीं पर भी ग्रेनाइट पत्थर नहीं पाया जाता, फिर 1000 साल पहले 130000 टन से अधिक ग्रेनाइट पत्थर किस प्रकार निर्माण स्थल पर लाये गए थे , यह कोई नहीं  जानता।

 

श्री बृहदीश्वर मंदिर का निर्माण सम्राट राजराजा चोल प्रथम ने अपनी 19 वर्ष की आयु में शुरू करवाया था और उनकी 25 वर्ष की आयु के समय इस मंदिर का निर्माण पूरा हो गया था। इस प्रकार इस अति विशाल मंदिर का निर्माण करने में केवल 6 वर्ष का ही समय लगा था। 

 

यह विशाल मंदिर बिना किसी नींव के समतल जमीन पर बनाया गया है। बिना नींव का यह मंदिर 1000 साल से अधिक समय से भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं को झेलते हुए भी बिना किसी नुक्सान के अचल स्थित है, जो की एक आश्चर्य की  बात है। 

 

श्री बृहदीश्वर मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर माना जाता है इसकी उचाई 66 मीटर (216 फुट) से अधिक है। दूर से यह मंदिर एक विशालकाय पिरामिड के सामान दिखाई देता है। 13 मंजिलों के इस मंदिर को  तंजौर शहर के किसी भी कोने से देखा जा सकता है। 

 

मंदिर के शिखर के ऊपर सम्राट राजराजा चोल प्रथम द्वारा चढ़ाया गया 12 फ़ीट उचाई का एक भव्य कलश रखा गया है, कलश को पूरी तरह से स्वर्ण से बनाया गया है। 

 

श्री बृहदीश्वर मंदिर के गर्भगृह में 13 फुट ऊंचा अतिविशाल शिवलिंग स्थापित किया गया है, शिवलिंग के साथ ही एक विशाल पंचमुखी सर्प बनाया गया है, यह सर्प अपने फन से शिवलिंग के ऊपर छत्र के समान छाया प्रदान करता है। शिवलिंग और सर्प दोनों एक ही पत्थर से तराश कर बनाये गए है। 

 

श्री बृहदीश्वर मंदिर के सामने ही नंदी मंडप स्थित है, इस मंडप में नंदी की विशाल प्रतिमा स्थापित गयी है जिसकी उचाई 12 फुट और लम्बाई 19 फुट है। नंदी की इस विशाल प्रतिमा को ग्रेनाइट की एक ही चट्टान से तराश कर बनाया गया है, जिसका वजन 25 टन से अधिक है। 


श्री बृहदीश्वर मंदिर की दीवारों पर बहुत बड़ी संख्या में शिलालेख खुदे है। इन शिलालेखों में सम्राट के शासन काल के दौरान घटित घटनाओं का विवरण है, इन शिलालेखों में त्योहारों और पूजा करने की विधियों का उल्लेख है, सम्राट के द्वारा मंदिर को दान दी गयी अकूत सम्पदा का उल्लेख है, सम्राट और महारानी के द्वारा मंदिर में प्रस्तुत किये गए सोने और मणियों से बने शानदार गहनों का उल्लेख है, सम्राट के द्वारा निर्माण करवाए गए विद्यालयों, अस्पतालों, नहरों का उल्लेख है, सम्राट द्वारा दान की गयी विभिन्न सम्पतियों के अलावा सम्राट के उत्तराधिकारियों का उल्लेख भी इन शिलालेखों  मिलता है।