गडियाघाट माताजी मंदिर यहाँ तेल की बजाये पानी से जलता है दीपक - GYAN OR JANKARI

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रविवार, 8 नवंबर 2020

गडियाघाट माताजी मंदिर यहाँ तेल की बजाये पानी से जलता है दीपक

  गाडियाघाट माताजी मंदिर यहाँ तेल की बजाये पानी से जलता है दीपक


भारत में ऐसे कई हिन्दू मंदिर हैं जो अद्भुत चमत्कारों के लिए जाने जाते है, उनमें से ही एक मंदिर है गडियाघाट माताजी का मंदिर, यह मंदिर दुर्गा देवी को समर्पित है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेष्ता यह है, की इस मंदिर में दीपक तेल बजाये पानी से जलाया जाता है। इस मंदिर के दीपक में कालीसिंध नदी का पानी डालते ही वह पानी एक चिपचिपे पदार्थ में बदल जाता है, जिससे दीपक जलता रहता है।मंदिर के इस चमत्कार को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आतें है और पानी से दीपक जलता देख आश्चर्यचकित रह जातें है। 

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Gadiyaghat Mataji Temple

पानी से दीपक जलने के कहानी

गडियाघाट माताजी का मंदिर भारत के मध्यप्रदेश राज्य के गड़िया गांव में कालीसिंध नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर पानी से जलने दीपक के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर के पुजारी पहले तेल से ही दीपक जलाया करते थे, लेकिन 2011 में इस मंदिर के पुजारी को दुर्गा देवी ने स्वप्न में दर्शन दिए और उन्हें पानी से दीपक जलाने को कहा, अगले दिन पुजारी ने देवी के आदेश के अनुसार कालीसिंध नदी का पानी दीपक में भरकर दीपक जलाया तो वह जल उठा, जिसे देखकर पुजारी आश्चर्यचकित रह गए।  दो से तीन महीनों तक पुजारी ने इस घटना के बारे में किसी को नहीं बताया और वे मंदिर में पानी से दीपक जलाते रहे। बाद में उन्होंने कुछ ग्रामीणों को इस घटना के बारे में जानकारी दी तो उन्हें पुजारी की बात पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब उन्होंने स्वयं कालीसिंध नदी के पानी से मंदिर में दीपक जलाया तो वह जल गया। इसके बाद मंदिर के इस चमत्कार की चर्चा पुरे गांव में और दूर-दूर के क्षेत्रों में होने लगी। मंदिर की प्रसिद्धि फ़ैल जाने के बाद दूर-दूर से भक्त इस मंदिर में देवी के दर्शन करने आने लगे। इतने वर्षो बाद आज भी इस मंदिर में कालीसिंध नदी के पानी से ही दीपक जलाया जाता है। 

 

पानी से दीपक जलने का रहस्य

गडियाघाट माताजी के मंदिर में कालीसिंध नदी के पानी से दीपक  जलने का क्या रहस्य है इसे जानने के लिए कई रिसर्च की गयी परन्तु अभी तक कोई भी इसका कारण नहीं जान पाया है। कालीसिंध नदी का पानी इस मंदिर के दीपक में डालते ही वह पानी एक चिपचिपे तरल में बदल जाता है, जिससे यह दीपक जलता रहता है, परन्तु जब सामान्य पानी इस दीपक में डाला जाता है तब यह दीपक नहीं जलता। इसके अलावा इस मंदिर से बाहर जब कालीसिंध नदी के पानी से दीपक जलाया जाता है तो मंदिर के बहार भी यह दीपक नहीं जलता। यह दीपक केवल मंदिर के अंदर ही जलता है और वो भी केवल कालीसिंध नदी के पानी से। 

 

वर्षा ऋतू में यह दीपक नहीं जलाया जाता 

वर्षा ऋतू में कालीसिंध नदी का जलस्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है, जिससे गडियाघाट माताजी का मंदिर कालीसिंध नदी के तट पर स्थित होने के कारण डूब जाता है, जिस कारण मंदिर में पूजा नहीं हो पाती। वर्षा ऋतू बीत जाने के बाद शारदीय नवरात्र के पहले दिन मंदिर में फिर से दीपक की ज्योत जला दी जाती है, जो अगली वर्षा ऋतू आने  तक जलती रहती है।