माँ मुंडेश्वरी मंदिर की जानकारी Maa Mundeshwari Temple in Hindi - GYAN OR JANKARI

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मंगलवार, 3 नवंबर 2020

माँ मुंडेश्वरी मंदिर की जानकारी Maa Mundeshwari Temple in Hindi

माँ मुंडेश्वरी मंदिर Maa Mundeshwari Temple in Hindi


माँ मुंडेश्वरी मंदिर का परिचय 

भारत में बहुत से मंदिर है जो देवी समर्पित है, इन  मंदिरों  में श्री मुंडेश्वरी माता के मंदिर का एक विशेष महत्त्व है। यह मंदिर भारत के कुछ सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर बकरे की सात्विक बलि के लिए विख्यात है, इस मंदिर में बकरे की बलि दिए जाने के कुछ समय बाद ही बकरा पुनः जीवित हो जाता है। इस प्रकार का अद्भुत चमत्कार दिखाने वाला यह दुनिया भर में एक मात्र मंदिर है। यह मंदिर भारत में बिहार राज्य के कैमूर जिले के रामगढ़ गांव में स्थित है।

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श्री मुंडेश्वरी मंदिर की विशेष्ता 

श्री मुंडेश्वरी देवी के मंदिर की सबसे बड़ी विशेष्ता इस मंदिर में दी जाने वाली सात्विक बलि है। इस मंदिर में भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद बकरे की बलि चढ़ाते है, लेकिन श्री मुंडेश्वरी देवी रक्त की बलि नहीं लेती, बल्कि बलि चढ़ाते समय एक आश्चर्यजनक घटना होती है, जिसे देखकर भक्तो  की आस्था देवी के प्रति बहुत अधिक बढ़ जाती है। बलि चढ़ाने के लिए जब बकरे को देवी की मूर्ति  सामने लाया जाता है, तब मंदिर के पुजारी चावल कुछ दाने देवी की मूर्ति को स्पर्श कराकर बकरे के ऊपर फेंकते है, इससे बकरा उसी क्षण अचेत हो जाता है, और बकरे के शरीर में किसी प्रकार की कोई भी हरकत नहीं होती और बकरा मृत के समान हो जाता है। कुछ देर बाद पुजारी पुनः कुछ चावल दाने देवी की मूर्ति से स्पर्श कराकर बकरे के ऊपर फेंकते है और बकरा तुरंत उठ जाता है और सामान्य हो जाता है, जिसके बाद उस बकरे को मुक्त कर दिया जाता है। यह अद्भुत चमत्कार इस मंदिर में प्रतिदिन घटित होता है, जिसे देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं। 

 

इसी प्रकार एक समय की बात है, श्री मुंडेश्वरी मंदिर में रात के समय कुछ चोर घुस आये और मंदिर में स्थित मंडलेश्वर महादेव की प्रतिमा को चुराकर भागने लगे, तभी अचानक पुरे गांव के सभी लोग एक साथ लाठियाँ लेकर मंदिर की ओर दौड़ पड़े और चोरों को पकड़ लिया गया। तब लोगों से जब पूछा गया की आप लोगों को कैसे पता चला की मंदिर में चोर घुस आये है तब सभी लोगों ने एक ही जवाब दिया की हमने सपने में देखा की कोई मंदिर से प्रतिमा चुराकर भाग रहा है। यह चमत्कार देख कर गांव के लोगों के साथ-साथ पुरे भारत के लोगों की आस्था श्री मुंडेश्वरी देवी और मण्डेलश्वर महादेव के प्रति बहुत अधिक बढ़ गयी। 

 

श्री मुंडेश्वरी मंदिर की पौराणिक कहानी  

एक कथा के अनुसार पौराणिक समय में चंड़ और मुंड नाम के दो राक्षस थे, उनका वध करने के लिए श्री मुंडेश्वरी देवी ने धरती पर अवतार लिया था। जब श्री मुंडेश्वरी देवी ने राक्षसों से युद्ध किया तो चंड़ युद्ध में मारा गया और मुंड युद्ध से भाग कर पंवरा की पहाड़ी  पर छिप गया, और इसी पंवरा की पहाड़ी पर देवी ने मुंड राक्षस का वध किया था, इसलिए देवी को श्री मुंडेश्वरी देवी के नाम से जाना जाता है। 


श्री मुंडेश्वरी मंदिर का स्थापत्य 

 श्री मुंडेश्वरी मंदिर कैमूर जिले में स्थित पंवरा पहाड़ी के शिखर पर स्थित है, इस पहाड़ी की उचाई 608 फ़ीट है। श्री मुंडेश्वरी देवी का यह मंदिर पूरी तरह से पत्थरों से बनाया गया है, तथा इस मंदिर का आकर अस्कोणीय है। इस मंदिर के भीतर श्री मुंडेश्वरी देवी की भव्य मूर्ति स्थित है, यह मूर्ति काले पत्थर से बनी जिसकी उचाई लगभग साढ़े तीन फ़ीट है। इस मूर्ति में देवी को भैंस पर बैठे हुए दर्शाया गया है। इस मंदिर के मध्य भाग में एक विशाल पंचमुखी शिवलिंग स्थित है, इस शिवलिंग का निर्माण एक विशेष पत्थर से किया गया है, जिसके कारण यह शिवलिंग सूर्य की स्थिति अनुसार अलग अलग रंगो  दिखाई देता है। शिवलिंग के सामने ही एक विशाल नंदी की मूर्ति भी स्थित है। इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए चार द्वार बनाए गए है तथा मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण की ओर है । इस मंदिर की नक्काशी और मूर्तियां गुप्तकालीन हैं। 

 

श्री मुंडेश्वरी मंदिर का इतिहास 

श्री मुंडेश्वरी देवी का मंदिर भारत के कुछ सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है, इस मंदिर का निर्माण कब किया गया था यह अज्ञात है। यहाँ की गयी खुदाई में महाराजा दुततगामनी की मुद्रा भी प्राप्त हुई थी, बौद्ध साहित्य के अनुसार महाराजा दुततगामनी 101 ईसा पूर्व श्रीलंका में अनुराधापुर वंश के शासक थे। यह मुद्रा इस मंदिर के अतिप्राचीन होने के स्पस्ट संकेत देती है। इनके अलावा इस मंदिर के परिसर में विद्यमान 349 ईस्वी के शिलालेख इस मंदिर की ऐतिहासिकता को प्रमाणित करते है।


 


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