ऐस्टाटिन (Astatine) के गुण उपयोग और रोचक जानकारी Astatine in Hindi
ऐस्टाटिन (Astatine) का परिचय
ऐस्टाटिन (Astatine) का वर्गीकरण अधातु (Non-Metal) के रूप में किया जाता है तथा रासायनिक रूप से ऐस्टाटिन एक तत्व है। ऐस्टाटिन आवर्त सरणी के ग्रुप 17 में स्थित होता है, इस ग्रुप के सभी तत्वों को हैलोजन (Halogen) कहा जाता है। ऐस्टाटिन का परमाणु भार 210 AMU, परमाणु संख्या 85 तथा इसका सिंबल (At) होता है। आवर्त सारणी (Periodic Table) में ऐस्टाटिन, ग्रुप 17, पीरियड 6 और ब्लॉक (P) में स्थित होता है। इसके परमाणु में 85 इलेक्ट्रान, 85 प्रोटोन, 125 न्यूट्रॉन तथा 6 एनर्जी लेवल होते है। ऐस्टाटिन का घनत्व लगभग 7 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर होता है। ऐस्टाटिन सामान्य तापमान पर ठोस अवस्था में पाया जाता है, इसका गलनांक (पिघलने का तापमान) 302 डिग्री सेल्सियस (576 डिग्री फेरेनाइट) होता है, इसका क्वथनांक (उबलने का तापमान) 350 डिग्री सेल्सियस (662 डिग्री फेरेनाइट) होता है, तथा इससे अधिक तापमान पर ऐस्टाटिन गैस अवस्था में पाया जाता है।
ऐस्टाटिन की खोज डेल आर. कार्सन, के.आर. मैकेंज़ी और एमिलियो सेग्रे (Dale. R. Carson, K.R. MacKenzie and Emilio Segre) ने 1940 में की थी।
![]() |
Astatine in Hindi |
ऐस्टाटिन (Astatine) के गुण
- ऐस्टाटिन के गुण अच्छी तरह से ज्ञात नहीं किये गए है, क्योकि ऐस्टाटिन के सबसे स्थिर आइसोटोप का आधा जीवन केवल आठ घंटे होता है, इसके अलावा यह एक अत्यंत ही दुर्लभ तत्व है, तथा आज तक इसकी केवल एक माइक्रोग्राम से भी कम मात्रा का उत्पादन किया गया है, जिसके कारण इस पर पर्याप्त रिसर्च नहीं की गयी है।
- ऐस्टाटिन का सबसे स्थिर आइसोटोप ऐस्टाटिन-210 है, इसका आधा जीवन 8 घंटे होता है, जिसके बाद यह अल्फ़ा क्षय के माध्यम से बिस्मथ-206 में परिवर्तित हो जाता है।
- ऐस्टाटिन-210 को परमाणु रिएक्टरो में बिस्मथ-200 पर न्यूट्रॉन की बौछार करके बनाया जाता है।
- ऐस्टाटिन अत्यंत रेडियोएक्टिव और विषैला तत्व है।
- ऐसा माना जाता है की अत्यधिक रेडियोएक्टिविटी से उत्पन्न गर्मी के कारण ऐस्टाटिन का एक टुकड़ा स्वतः ही वाष्पीकृत हो जायेगा।
- ऐस्टाटिन के रासायनिक गुण आयोडीन से मिलते-जुलते होते है।
ऐस्टाटिन (Astatine) के उपयोग
- वर्तमान में वैज्ञानिक शोध के अलावा ऐस्टाटिन का कोई अन्य उपयोग नहीं है।
- ऐस्टाटिन के कुछ गुण आयोडीन के समान हैं, इसलिए कुछ शोधकर्ता यह समझते है की ऐस्टाटिन मानव शरीर में आयोडीन की तरह व्यवहार करेगा। इसलिए इसका उपयोग थायराइड कैंसर का उपचार करने में किया जा सकता है। यह निगलने पर आयोडीन की तरह थायराइड ग्रंथि में जमा हो जायेगा, वहाँ इससे निकलने वाला विकिरण कैंसर कोशिकाओं को नस्ट कर सकता है, इस प्रकार इसका उपयोग थायराइड कैंसर के उपचार में किया जा सकता है।
ऐस्टाटिन (Astatine) की रोचक जानकारी
- पृथ्वी की पपड़ी में ऐस्टाटिन सबसे अधिक दुर्लभ तत्व माना जाता है।
- ऐस्टाटिन एक मानव निर्मित तत्व है, यह प्रकृति में प्राकृतिक रूप से इतनी सूक्ष्म मात्रा में पाया जाता है, जिसे एकत्रित करना पूरी तरह असंभव है, इसलिए इसे परमाणु रिएक्टर में कृतिम रूप से बनाया जाता है।
- ऐस्टाटिन अत्यंत ही दुर्लभ तत्व है, प्राकृतिक रूप से यह यूरेनियम और थोरियम के क्षय से उत्पन्न होता है, ऐस्टाटिन के सभी आइसोटोप्स का आधा जीवन 8 घंटे से कम होता है, इसलिए इसका लगातार क्षय होता रहता है, एक अनुमान के अनुसार पूरी पृथ्वी की पपड़ी में एक समय में लगभग 30 ग्राम ऐस्टाटिन ही उपस्थित रहता है।
- ऐस्टाटिन की खोज 1940 में कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी में की गयी थी।