आइंस्टिनियम (Einsteinium) के गुण उपयोग और रोचक जानकारी Einsteinium in Hindi
आइंस्टिनियम (Einsteinium) का परिचय
आइंस्टिनियम (Einsteinium) का वर्गीकरण रेयर अर्थ मेटल के रूप में किया जाता
है, तथा रासायनिक रूप से यह एक तत्व है। आइंस्टिनियम का परमाणु भार 252 AMU,
परमाणु संख्या 99 तथा सिंबल (Es) होता है।
आवर्त सारणी (Periodic Table)
में आइंस्टिनियम, ग्रुप एक्टिनाइड्स, पीरियड 7 और ब्लॉक (F) में स्थित होता
है। इसके परमाणु में 99 इलेक्ट्रान, 99 प्रोटोन, 153 न्यूट्रॉन तथा 7 एनर्जी
लेवल होते है। आइंस्टिनियम का घनत्व अज्ञात (Unknown) है। सामान्य तापमान पर
आइंस्टिनियम ठोस अवस्था में पाया जाता है, इसका गलनांक (पिघलने का तापमान)
860 डिग्री सेल्सियस (1580 डिग्री फेरेनाइट) होता है, इसका क्वथनांक (उबलने
का तापमान) अज्ञात (Unknown) है।
आइंस्टिनियम की खोज 1952 में वैज्ञानिकों के एक दल ने की थी, उस दल का
नेतृत्व अल्बर्ट घियोरसो (Albert Ghiorso) ने किया था।
आइंस्टिनियम (Einsteinium) के गुण
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Einsteinium properties in Hindi |
- आइंस्टिनियम प्राकृतिक रूप से नहीं पाया जाता, इसे परमाणु रिएक्टर में कृतिम रूप से कुछ मिलीग्राम मात्रा में बनाया जाता है, इसलिए अत्यंत दुर्लभ होने के कारण पर्याप्त रिसर्च के आभाव में इसके सभी गुणों का पता नहीं लगाया जा सका है।
- आइंस्टिनियम के सभी आइसोटोप रेडियोएक्टिव होते है।
- अत्यधिक रेडियोएक्टिव होने के कारण आइंस्टिनियम विषैला होता है।
- आइंस्टीनियम का सबसे स्थिर आइसोटोप आइंस्टीनियम -252 है, जिसका आधा जीवन लगभग 471.7 दिनों का है, जिसके बाद यह अल्फा क्षय के माध्यम से बर्केलियम -248 में या इलेक्ट्रॉन कैप्चर के माध्यम से कैलिफोर्नियम-252 में परिवर्तित हो जाता है।
- आइंस्टिनियम पर ऑक्सीजन, भाप और एसिड द्वारा हमला किया जाता है, परन्तु क्षार द्वारा नहीं।
आइंस्टिनियम (Einsteinium) के उपयोग
- वैज्ञानिक रिसर्च के अलावा आइंस्टिनियम का अन्य कोई उपयोग नहीं है।
आइंस्टिनियम (Einsteinium) की रोचक जानकारी
- परमाणु रिएक्टर में प्लूटोनियम पर न्यूट्रॉन की बौछार करके आइंस्टिनियम की मिलीग्राम मात्रा का उत्पादन किया जाता है।
- आइंस्टिनियम का नाम महान भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टीन के नाम पर रखा गया है।
- आइंस्टिनियम के लगभग 14 ज्ञात आइसोटोप है।
- आइंस्टिनियम की खोज सर्वप्रथम हाइड्रोजन-बम विस्फोट परिक्षण की राख में की गयी थी, राख की जाँच करने पर आइंस्टिनियम से उत्पन्न होने वाले विशिष्ट विकिरण के कारण इसका पता लगाया जा सका था।