कार्बन फाइबर क्या है, फायदे नुकसान उपयोग और जानकरी Carbon Fiber in Hindi - GYAN OR JANKARI

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मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

कार्बन फाइबर क्या है, फायदे नुकसान उपयोग और जानकरी Carbon Fiber in Hindi

कार्बन फाइबर क्या है, फायदे नुकसान उपयोग और जानकरी Carbon Fiber in Hindi


कार्बन फाइबर क्या है

कार्बन फाइबर को ग्रेफाइट फाइबर के नाम से भी जाना जाता है। कार्बन फाइबर एक कम्पोज़िट मटीरियल होता है, जो अलग अलग पदार्थो से मिलकर बना होता है, जिसमे मुख्य रूप से कार्बन के रेशों से बुना हुआ कपडा और एक एपोक्सी बाइंडर होता है, जो कार्बन के रेशों को एक साथ बांध कर रखता है। इस प्रकार कार्बन के रेशों और एपोक्सी बाइंडर के मिलने से जो मटेरियल बनाया जाता है उसे कार्बन फाइबर कम्पोज़िट कहा जाता है। यह फाइबर-ग्लास की तरह का ही एक मटेरियल होता है।


कार्बन के रेशे वजन में हलके और अत्यंत मजबूत होते है, इसी प्रकार कार्बन के रेशों को जोड़ने वाला बाइंडर भी अत्यंत मजबूत और वजन में हल्का होता है, इसलिए कार्बन-फाइबर कम्पोज़िट वजन में हल्का, कठोर और अत्यंत मजबूत मटेरियल होता है। यदि स्टील से कार्बन फाइबर की तुलना की जाये तो कार्बन फाइबर स्टील से पांच गुना अधिक मजबूत और दोगुना अधिक कठोर होता है, इसके अलावा कार्बन फाइबर कम्पोज़िट का वजन स्टील की तुलना में केवल एक चौथाई ही होता है।


कार्बन फाइबर कम्पोजिट मटेरियल कैसे बनाया जाता है 

कार्बन फाइबर कम्पोजिट मटेरियल बनाने की प्रक्रिया चार चरणों में पूरी की जाती है प्रथम चरण में कार्बन के रेशे बनाये जाते है जिसे कार्बन फाइबर कहा जाता है। दूसरे चरण में कार्बन फाइबर की बुनाई की जाती है और इससे एक कपडे जैसी शीट बनाई जाती है। तीसरे चरण में कार्बन फाइबर कपडे के साथ बाइंडिंग मटेरियल जोड़ा जाता है और इससे मन चाहे आकार की वस्तु बनाई जाती है। चौथे चरण में बनाई गयी वस्तु को उच्च दबाव या वैक्यूम में उच्च तापमान पर पकाया जाता है, जिसके बाद अंतिम उत्पाद बनकर तैयार होता है।

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कार्बन फाइबर के रेशे कैसे बनाए जाते है

कार्बन फाइबर को प्रमुख रूप से पॉलीअक्रेलोनाइट्रेल (Polyacrylonitrile) प्लास्टिक से बनाया जाता है जो क्रूड आयल का एक उत्पाद होता है। इसके अलावा पेट्रोलियम पिच और रेयान से भी कार्बन फाइबर बनाये जाते है। सबसे पहले कार्बन के स्रोत के रूप में पॉलीअक्रेलोनाइट्रेल प्लास्टिक को कुछ केमिकल्स के साथ गर्म करके इसे पतले फाइबर के रूप में खींचा जाता है, और इच्छित मोटाई का फाइबर बना लिया जाता है।


इसके बाद कार्बन फाइबर को लगभग 300 डिग्री सेल्सियस की गर्म हवा में स्टेब्लाइज किया जाता है, इससे फाइबर में उपस्थित अधिकांश अशुद्धियाँ जल जाती है, इस प्रक्रिया को ऑक्सीडेशन कहा जाता है।


इसके बाद कार्बन फाइबर को एक एक भट्टी में ऑक्सीजन रहित वातावरण में 1200 से 3000 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर गर्म किया जाता है, ऑक्सीजन की अनुपस्थिति से फाइबर जलता नहीं है, और इसके कार्बन परमाणु आपस में जुड़कर एक बहुत मजबूत संरचना बना लेते है, इस प्रक्रिया को कार्बोनाइज़िंग कहा जाता है।


कार्बोनाइज़िंग प्रक्रिया से प्राप्त उत्पाद की सतह अत्यंत स्मूथ होती है, जो किसी बाइंडिंग मेटेरियल से साथ नहीं जुड़ सकती। इसलिए कार्बन फाइबर की सतह को बाइंडिंग मेटेरियल से चिपकने लायक बनाने के लिए फाइबर की सतह को हल्का ऑक्सीडाइस किया  जाता है, जिससे कार्बन फाइबर की सतह रफ या खुरदरी हो जाती है जो आसानी से किसी बाइंडिंग मटेरियल से जुड़ सकती है।


इसके बाद कार्बन फाइबर के ऊपर पॉलीमर की एक पतली सुरक्षा परत चढ़ाई जाती है। इस प्रक्रिया के बाद कार्बन फाइबर को सुखाकर किसी रोल में लपेट कर एकत्रित कर लिया जाता है।


कार्बन फाइबर की बुनाई 

कार्बन फाइबर को अलग-अलग पैटर्न में बुनकर कई तरह के गुणों वाला कपडा बनाया जा सकता है। आमतौर पर कार्बन फाइबर को दो तरह  पैटर्न में बुना जाता है 1x1 पैटर्न और 2x2 पैटर्न।


1 x 1 पैटर्न  बुनाई वर्गाकार पैटर्न के रूप में दिखाई देती है, यह एक सममिति पैटर्न होता है, यह डिजाइन एक बहुत घनी बुनाई होती है, इसमें कार्बन फाइबर के रेशे बहुत पास-पास होते है, जो इसे बहुत अधिक मजबूती प्रदान करतें है। परन्तु इस डिजाइन के कारण कपडे में लचीलापन कम होता है, जिससे इसे मोल्ड पर लपेटना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।


2 x 2 पैटर्न बुनाई तिरछी रेखाओ की तरह दिखाई देती है, यह 1 x  1 पैटर्न की तुलना में अधिक लचीली होती है, तथा इसे मोल्ड पर लपेटना आसान होता है, ऑटोमेटिव उद्योग में अधिकतर इसी पैटर्न का उपयोग किया जाता है।


बाइंडिंग मेटेरियल 

कार्बन फाइबर कपडे के साथ बाइंडिंग मेटेरियल मिलकर इसे मनचाहे आकर में ढाला जाता है। बाइंडिंग मेटेरियल के रूप में तीन अलग-अलग रेजिन का उपयोग किया जाता है।


1 एपोक्सी रेजिन 

एपोक्सी रेजिन सबसे मजबूत और टिकाऊ होता है, परन्तु यह सबसे अधिक महँगा भी होता है। एपोक्सी रेजिन दो अलग-अलग हिस्सों में आता है जो आपस में मिलकर बहुत मजबूत और कठोर हो जाते है। कार्बन फाइबर कम्पोजिट मटेरियल से उत्पाद बनाने वाली अधिकतर कम्पनियाँ एपोक्सी रेजिन का ही उपयोग  करती हैं। एपोक्सी रेजिन बनाने के लिए सभी कम्पनियाँ अपने अलग-अलग सीक्रेट फार्मूलों का उपयोग करती है, जो उनका ट्रेड सीक्रेट भी होता है।


2 विनिलस्टर रेसिन 

विनिलस्टर रेसिन एपोक्सी रेजिन की तुलना में लगभग एक चौथाई ही मजबूत होता है, परन्तु यह एपोक्सी रेसिन से सस्ता होता है। विनिलस्टर रेसिन से एक बहुत अच्छी चमकदार सतह देखने को मिलती है। इसलिए इसका उपयोग कार्बन फाइबर कम्पोज़िट की ऊपरी सतह पर किया जाता है, जिससे वह देखने में सुन्दर लगती है।


3 पोलिएस्टर रेसिन 

पोलिएस्टर रेसिन तीनों प्रकार रेसिन में सबसे कमजोर तथा सबसे सस्ता रेसिन है। इसका अधिकतर उपयोग फाइबर ग्लास के लिए किया जाता है।


कार्बन फाइबर कम्पोजिट बेकिंग 

कार्बन फाइबर पर बाइंडिंग मटेरियल लगाने के बाद इसे उच्च तापमान और उच्च दबाव पर पकाया जाता है, जिससे कार्बन फाइबर और बाइंडिंग मटेरियल आपस में बहुत अच्छे से जुड़ कर सुख जाते है, इस काम के लिए दो विधियाँ प्रयोग की जाती है।


उच्च दबाव पर बेकिंग

कार्बन फाइबर कम्पोजिट को उच्च दबाव पर बेक करने के लिए ऑटोक्लेव नाम की फर्नेस का उपयोग किया जाता है, इस फर्नेस में उच्च तापमान और 300 से 400 PSI ले उच्च दबप पर कार्बन फाइबर कम्पोजिट को बेक किया जाता है। जिससे कार्बन फाइबर और बाइंडिंग मटेरियल आपस में बहुत अच्छे से जुड़ जाते है। इस प्रक्रिया द्वारा बने हुए कार्बन फाइबर कम्पोजिट पार्ट्स बहुत अधिक मजबूत होते है, परन्तु यह प्रक्रिया बहुत महँगी होती है, तथा इस प्रक्रिया के द्वारा बड़े पार्ट्स का निर्मण करना बहुत महंगा हो जाता है, क्योकि बड़े पार्ट्स के लिए बहुत बड़े आकर की ऑटोक्लेव फर्नेस की जरुरत होती है।


ऑटोक्लेव फर्नेस बहुत उच्च दबाव पर काम  करती है, इसलिए यह फर्नेस जितनी बड़ी होती है, इसे उच्च दबाव पर काम करने के लिए उतना ही अधिक मजबूत बनाना पड़ता है, अन्यथा यह फर्नेस विस्फोट के साथ फट सकती है। इसलिए बड़े आकर की सुरक्षित ऑटोक्लेव फर्नेस बनाना बहुत अधिक महंगा होता है।


वैक्यूम बेकिंग

कार्बन फाइबर कम्पोजिट को वैक्यूम चैम्बर में रखकर उच्च तापमान पर बेक किया जाता है। यह प्रक्रिया कम खर्चीली है, तथा आसानी से की जा सकती है। परन्तु इस प्रक्रिया द्वारा प्राप्त उत्पाद उतना मजबूत नहीं होता जितना उच्च दबाव पर बेक करने से होता है। यह प्रक्रिया सस्ती है इसलिए अधिकतर कार्बन फाइबर कम्पोजिट उत्पाद इसी प्रक्रिया द्वारा बनाए जाते है।


कार्बन फाइबर कम्पोजिट के फायदे और नुक्सान

कार्बन फाइबर के फायदे 

  • कार्बन फाइबर कम्पोजिट से बने पार्ट्स किसी भी मेटल की तुलना में अधिक मजबूत होते है।
  • इससे बने पार्ट्स का वजन मेटल से बने पार्ट्स की तुलना में बहुत कम होता है।
  • इससे बने पार्ट्स पर वातावरण का कोई असर नहीं होता, तथा इन पर धातुओं की तरह जंग भी नहीं लगती।
  • कार्बन फाइबर कम्पोजिट से बने पार्ट्स केमिकल प्रतिरोधी होते है अर्ताथ इन पर किसी भी केमिकल का कोई असर नहीं होता।
  • इसके पार्ट्स उच्च तापमान को भी बड़ी आसानी से सह सकते है, तथा अपने आकार को बनाये रखते है।
  • इससे बने पार्ट्स स्टील की तुलना में 2 गुणा अधिक कठोर और 5 गुणा अधिक मजबूत होते है।


कार्बन फाइबर के नुक्सान 

  • कार्बन फाइबर कम्पोजिट से बने पार्ट्स अधिक महंगे होते है।
  • कार्बन फाइबर कम्पोजिट से मेटल्स की तरह बड़े पैमाने पर पार्ट्स का उत्पादन नहीं किया जा सकता, इससे पार्ट्स बनाने के लिए लम्बी प्रक्रिया अपनाई जाती है जिसमे समय  लगता है और उत्पादन भी सिमित होता है।
  • कार्बन फाइबर कम्पोजिट से बने उत्पाद रिसाइकल नहीं किये जा सकते।
  • कार्बन फाइबर पर काम करने के लिए उच्च कौशल दक्षता और उच्च स्तर की मशीनरी की आवश्यकता होती है।


कार्बन फाइबर के उपयोग

  • कार्बन फाइबर कम्पोजिट का उपयोग ऐसी जगहों पर किया जाता है जहाँ वजन कम रखने के साथ-साथ अधिक मजबूती की आवश्यकता होती है जैसे एयरोस्पेस इंडस्ट्री, रॉकेट इंडस्ट्री, स्पोर्ट्स इंडस्ट्री, रोबोटिक्स आदि।
  • महँगी स्पोर्ट्स कार और स्पोर्ट्स बाइक्स में वजन कम रखने के लिए कार्बन फाइबर कम्पोजिट का उपयोग किया जाता है।
  • विंड टरबाइन के ब्लेड बनाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।
  • आजकल कंक्रीट को मजबूती देने के लिए स्टील के सरिये स्थान पर कार्बन फाइबर कम्पोज़िट रॉड का उपयोग किया जाता है, क्योकि इस पर स्टील  तरह जंग नहीं लगती और यह स्टील से अधिक मजबूत भी होता है।

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