देवराज ने चोर को कैसे पकड़ा Hindi Kahani for Kids
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देवराज अपनी क्लास के सबसे होशियार बच्चो में से एक था, उसे गणित और विज्ञानं विषय बहुत पसंद थे। कक्षा के लगभग सभी बच्चे उसके दोस्त थे। उसके सभी टीचर भी उसे बहुत पसंद किया करते थे। वह खेलने कूदने में भी हमेशा सबसे आगे रहता था। वह स्कुल में मन लगाकर पढता और शाम को अपने मोहल्ले के दोस्तों के साथ खेलने जाता, वे सभी दोस्त मिलकर हमेशा क्रिकेट ही खेला करते थे। यही उन सबका सबसे पसंदीदा खेल था। ऐसे ही करते-करते पूरा साल बीत गया, साल के अंत में परीक्षा हुई और देवराज अच्छे नंबरों से पास होकर अगली कक्षा में चला गया।
अगले साल उसकी कक्षा में कुछ नए बच्चों ने भी एडमिशन लिया था, यह साल भी हमेशा की तरह सामान्य ही बीत रहा था, परन्तु कुछ समय बाद क्लास के बच्चों के सामान गायब होने लगे। कभी किसी बच्चे का पेन खो जाता, किसी का बॉक्स खो जाता, किसी के पैसे गायब हो जाते, कभी किसी का कुछ खो जाता। ऐसा काफी लम्बे समय तक चलता रहा। क्लास का ही कोई बच्चा यह सब चीजें चुरा रहा था। परन्तु किसी को नहीं मालूम था की वह बच्चा कौन है। क्लास के सभी बच्चे अपनी चीजों को बहुत ध्यान से रखने लगे। लेकिन फिर भी कभी न कभी किसी बच्चे की कोई चीज जरूर खो जाती। ऐसा बहुत समय तक चलता रहा।
एक दिन देवराज एक बहुत अच्छा पैन स्कुल लेकर गया और कुछ दिन बाद उसका वह पेन खो गया। उसे यह मालूम था की क्लास के ही किसी बच्चे ने उसका पैन लिया है, परन्तु वह बिना साबुत के किसी पर आरोप नहीं लगाना चाहता था, इसलिए उसने किसी से कुछ नहीं कहा। परन्तु वह उस चोर को सबक जरूर सीखना चाहता था। इसलिए वह उस चोर को पकड़ने का उपाय सोचने लगा। बहुत सोचने पर भी उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।
फिर कुछ दिनों बाद दीपावली की छुट्टियाँ हो गयी और सब बच्चे स्कुल की पढ़ाई से छूटकर अपने अपने घरों में मस्ती करने लगे। दीपावली की छुट्टियों के बाद जब स्कुल खुले तो सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका था। एक दिन जब देवराज सुबह स्कुल जाने के लिए तैयार हो रहा था, तब उसने देखा की उसका बालों में लगाने वाला नारियल का तेल शीशी में ही जम कर ठोस हो गया है, इसलिए उसने शीशी का ढक्कन खोलकर चम्मच से खुरच कर तेल निकला और अपने बालों लगाने के लिए अपनी हथेली पर रखा। हथेली पर रखते ही हथेली की गर्मी से नारियल तेल पिघलने लगा और उसने वह लेल अपने बालों में लगा लिया। यह हमेशा की तरह एक सामान्य सी बात थी परन्तु इस बार देवराज को इससे कक्षा के चोर को पकड़ने का एक उपाय सूझ गया।
उसी दिन देवराज ने स्कुल से घर आते समय एक बहुत बढ़िया महँगा सा दिखने वाला मेटल का पेन ख़रीदा। अगले दिन देवराज उस पेन को स्कुल ले गया। स्कुल में उसके सभी दोस्तों को उसका यह पेन बहुत पसंद आया। देवराज अगले दो तीन दिन तक उस पेन को स्कुल लेकर जाता रहा। तीन दिन बाद देवराज ने उस पेन को खोला और पेन की रिफिल के चारों तरफ नारियल का जमा हुआ तेल ठूंस-ठूंस कर भर दिया और उस पेन को बंद कर दिया। इसके बाद उसने उस पेन को चारो तरफ से साफ़ कर दिया। सर्दी का मौसम होने के कारण नारियल का जमा हुआ तेल न तो पेन से बाहर आया और न ही थोड़ा सा भी लीक किया।
अब देवराज ने बहुत संभाल के उस पेन को कागज में लपेटा और अपने स्कुल बैग में रख लिया। यदि वह उस पेन को अपने हाथ से पकड़ता तो कुछ ही देर में उस पेन में भरा हुआ नारियल का तेल उसके हाथों की गर्मी से पिघलकर बाहर आ जाता, इसलिए उसने उस पेन को कागज में लपेट कर रखा। अगले दिन देवराज वह पेन स्कुल ले गया। स्कुल में लंच होने तक उसने किसी दूसरे पेन से काम किया। जब लंच हुआ तो देवराज ने उस पेन को कागज से बहार निकला और जानबूझकर उसे अपनी टेबल पर रखकर क्लास के बाहर चला गया। इसके बाद देवराज दूर से ही ध्यान रखने लगा की उस पेन को कौन उठाता है।
लेकिन कुछ देर बाद उसने देखा की उसकी टेबल से वह पेन गायब था, उसे कब कौन लेकर चला गया देवराज देख ही नहीं पाया। लंच के समय कक्षा में सब बच्चे इधर-उधर भागते रहते है, इसलिए किसी भी चीज का ध्यान रखना लगभग असंभव हो जाता है। कुछ देर बाद लंच ख़तम गया और सब बच्चे कक्षा में अपनी-अपनी जगह बैठ गए। देवराज भी कक्षा में अपनी जगह बैठ गया। कुछ देर बाद उसने अपनी जगह खड़े होकर एक बार यूं ही घूम कर सब बच्चों को बड़े गौर से देखा। उसने देखा कक्षा में एक लड़के का स्वेटर गले के यहाँ से गिला हो रखा है। उसके लाल रंग के स्वेटर पर गिला निशान दूर से ही साफ़ दिखाई दे रहा था।
यह तो नया लड़का था, इसने इसी साल कक्षा में एडमिशन लिया था। देवराज को शक हो गया की शायद इसी लड़के ने उसका पेन चुराकर शर्ट में छुपा रखा है, और उसके शरीर की गर्मी से पेन का तेल पिघलकर बाहर आ रहा है और उसके स्वेटर पर दिखाई दे रहा है। यह देखने के बाद भी देवराज चुप रहा, उसने सोचा हो सकता है उस लड़के ने लंच में पानी पीते समय थोड़ा पानी स्वेटर पर गिरा लिया हो, इसलिए किसी पर इल्जाम लगाना ठीक नहीं। देवराज ने एक घंटे इंतजार किया। एक घंटे बाद देवराज ने देखा की उस लड़के के स्वेटर पर वह गिला निशान सूखने के बजाए और ज्यादा बढ़ गया। अब तो देवराज को विश्वास हो गया की उसी लड़के ने उसका पेन चुराया है, क्योकि यदि उसके स्वेटर पर पानी का निशान होता तो वह एक घंटे में कुछ हद तक सुख जाता, परन्तु वह तेल का निशान था और तेल सूखता नहीं है। उस पेन से लगातार तेल निकल रहा था इसलिए उसके स्वेटर पर निशान भी बढ़ता जा रहा था।
अब देवराज ने सोचा, चलो अब टीचर को बता कर इस लड़के को चोरी करने का सबक सिखाते है। परन्तु अगले ही पल देवराज ने सोचा यदि इस लड़के की चोरी के बारे में सभी को बता दिया, तो फिर यह लड़का पुरे साल कक्षा में किसी से नज़रे नहीं मिला पायेगा और ठीक से पढ़ाई भी नहीं कर पायेगा, सब इसे चोर कहकर चिढ़ाएँगे और कोई भी इससे दोस्ती नहीं करेगा। इसलिए देवराज ने किसी से कुछ नहीं कहा। जैसे ही कक्षा की छुट्टी हुई, देवराज अकेले में उस लड़के के पास गया और उससे कहा आज मेरा नया पेन खो गया था, क्या वह पेन तुम्हारे पास है। यह सुनकर उस लड़के ने साफ़ मना कर दिया की मेरे पास तुम्हारा कोई पेन नहीं है। तब देवराज ने कड़े शब्दों में कहा मैं जानता हूँ मेरा नया पेन तुम्हारे ही पास है। मैंने कक्षा के चोर को पकड़ने के लिए लंच में जानबूझकर उस पेन को अपनी टेबल पर छोड़ा था। मैंने उस पेन में नारियल का तेल भर रखा था, जो उस पेन से निकलकर तुम्हारे स्वेटर पर साफ़ दिखाई रहा है।
यह सुनते ही उस लड़के ने अपने स्वेटर को देखा जिस पर बड़ा गिला निशान दिखाई दे रहा था, उस लड़के को मालूम ही नहीं चला की स्वेटर पर यह निशान कब लग गया, उस निशान से नारियल के तेल की खुशबू भी आ रही थी। देवराज ने कहा निकालो मेरा पेन जो तुमने अपनी शर्ट में छिपा रखा है। यह देखते ही उस लड़के ने अपनी गलती मान ली और देवराज को उसका पेन निकलकर दे दिया। देवराज ने कहा मुझे मालूम हो गया है की कक्षा में जितनी भी चोरियाँ हुई है वो सब तुमने ही की है, इसलिए मैंने तुम्हें रंगे हाथ पकड़ने के लिए यह उपाय किया है।
अब उस लड़के ने अपनी सारी गलती मान ली, अब वह लड़का देवराज के सामने गिड़गिड़ाने लगा की वह यह बात कक्षा में किसी को न बताये। तब देवराज ने कहा मुझे तो लंच के बाद ही मालूम हो गया था की तुमने ही चोरी की है, परन्तु मैंने किसी को नहीं बताया। अगर तुम मुझसे वादा करते हो की तुम आज के बाद कभी चोरी नहीं करोगे तो मैं यह बात किसी को भी नहीं बताऊंगा। तब उस लड़के ने कसम खाई और देवराज से वादा किया की आज के बाद वह कभी चोरी नहीं करेगा।
इस दिन के बाद उस लड़के ने कभी भी चोरी नहीं की, तथा वह लड़का और देवराज बहुत अच्छे दोस्त बन गए। देवराज ने अपनी सूझ-बूझ से न केवल कक्षा में चोरी करने वाले लड़के को पकड़ा, बल्कि उसने उस लड़के को सबके सामने अपमानित किये बिना उसकी चोरी करने की आदत भी छुड़ाई और एक बहुत अच्छा दोस्त भी बना लिया।
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