कार्बोनिक एसिड गुण उपयोग और अन्य जानकारी Carbonic acid in Hindi
कार्बोनिक एसिड क्या है (What is Carbonic acid)
कार्बोनिक एसिड एक रासायनिक यौगिक है, जिसका सूत्र H2CO3 होता है। कार्बोनिक एसिड के रासायनिक सूत्र को OC(OH)2 के रूप में भी लिखा जा सकता है, क्योंकि इस यौगिक में एक कार्बन-ऑक्सीजन दोहरा बंधन होता है। पानी में कार्बन डाइऑक्साइड के घोल में इसकी थोड़ी मात्रा उपस्थित होती है। कार्बोनिक एसिड को अक्सर श्वसन एसिड (Respiratory acid) के रूप में वर्णित किया जा सकता है, क्योंकि यह गैसीय अवस्था में मानव फेफड़ों द्वारा निकाला जाने वाला एकमात्र एसिड है। यह बाइकार्बोनेट और कार्बोनेट लवण बनाता है, तथा यह एक कमजोर अम्ल है। कार्बोनिक एसिड को हवा का एसिड, एरियल एसिड, कार्बन डाइऑक्साइड सोल्युशन या डाइहाइड्रोजन कार्बोनेट भी कहा जाता है।
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Carbonic acid in Hindi |
कार्बोनिक एसिड के गुण (Properties of Carbonic acid in Hindi)
- कार्बोनिक एसिड रंगहीन होता है तथा केवल सोल्युशन (घोल) के रूप में पाया जाता है।
- कार्बोनिक एसिड का घनत्व 1. 67 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर होता है।
- सामान्य तापमान पर कार्बोनिक एसिड तरल अवस्था में पाया जाता है, इसका गलनांक -80 डिग्री सेल्सियस होता है, तथा इसका क्वथनांक 333.6 डिग्री सेल्सियस होता है।
- जलीय घोल में कार्बोनिक एसिड डिबासिक एसिड के रूप में व्यवहार करता है।
- कार्बोनिक एसिड प्रकृति में अस्थिर है, तथा यह एक कमजोर अम्ल है।
- कार्बोनिक एसिड अपघटित होकर कार्बन डाई ऑक्साइड तथा जल बनाता है।
- कार्बोनिक एसिड एक डिप्रोटिक एसिड है, और इसलिए, यह दो प्रकार के लवण बना सकता है: कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट।
- कार्बोनिक एसिड में थोड़ी मात्रा में क्षार मिलाने से बाइकार्बोनेट लवण प्राप्त होते हैं, जबकि अधिक मात्रा में क्षार मिलाने से कार्बोनेट लवण प्राप्त होते हैं।
कार्बोनिक एसिड के उपयोग (Uses of Carbonic acid in Hindi)
- सोडा, शीतल पेय, स्पार्कलिंग वाइन और अन्य वातित पेय की तैयारी में कार्बोनिक एसिड का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
- रक्त और शरीर के अन्य तरल पदार्थों में कार्बोनिक एसिड की उपस्थिति उन तरल पदार्थों के पीएच स्तर (अम्लता) को नियंत्रित करने में मदद करती है।
- रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड के परिवहन में कार्बोनिक एसिड महत्वपूर्ण है। कार्बन डाइऑक्साइड ऊतकों के रक्त में प्रवेश करती है क्योंकि इसका स्थानीय आंशिक दबाव ऊतकों से बहने वाले रक्त में इसके आंशिक दबाव से अधिक होता है। जैसे ही कार्बन डाइऑक्साइड रक्त में प्रवेश करता है, यह पानी के साथ मिलकर कार्बोनिक एसिड बनाता है, जो हाइड्रोजन आयनों (H+) और बाइकार्बोनेट आयनों (HCO3-) में अलग हो जाता है।
- कार्बोनिक एसिड का उपयोग कई अन्य क्षेत्रों में भी किया जाता है, जैसे कि फार्मास्यूटिकल्स, सौंदर्य प्रसाधन, उर्वरक, खाद्य प्रसंस्करण, एनेस्थेटिक्स, आदि।
- कॉन्टैक्ट लेंस की सफाई के लिए कार्बोनिक एसिड बहुत प्रभावी होता है, इसका उपयोग वेल्डिंग, खाद्य प्रसंस्करण और सौंदर्य प्रसाधन के लिए गैस के रूप में भी किया जाता है।
- यह आमतौर पर दाद जैसे डर्मोटाइटिस के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
अन्य जानकारी (Other information)
- मानव शरीर में रक्त में कार्बोनिक एसिड मौजूद होता है। यह मानव शरीर में तब बनता है जब पानी कार्बन डाइऑक्साइड के साथ घुल जाता है। यह वर्षा जल, कैल्साइट, किण्वन, कोयला, भूजल, उल्का, ज्वालामुखी, अमीनो एसिड, प्रोटीन, महासागर, पौधे, एरिथ्रोसाइट्स, सल्फर जमा, लवण और गुफाओं में भी मौजूद होता है।
- कार्बोनिक एसिड चूना पत्थर को घोलने में सक्षम है, जिससे कैल्शियम बाइकार्बोनेट (Ca(HCO3)2 बनता है। यह चूना पत्थर की विभिन्न विशेषताओं का प्राथमिक कारण है, जिसमें स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स शामिल हैं।
- कार्बोनिक एसिड को मानव स्वास्थ्य के लिए विषाक्त या खतरनाक नहीं माना जाता है क्योंकि यह मानव शरीर में प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरुरी है कि कार्बोनिक एसिड की उच्च सांद्रता के संपर्क में आने से श्वसन पथ और आंखों में जलन हो सकती है।
- कार्बोनिक एसिड तब बनता है जब कार्बन डाइऑक्साइड पानी में घुल जाता है और यह केवल एक घोल में ही मौजूद हो सकता है। यह प्रतिक्रिया आम तौर पर संतुलन में होती है, जिसका अर्थ है कि कार्बोनिक एसिड आंशिक रूप से और विपरीत रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और पानी बनाता है।
- वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाईऑक्साइड महासागरों के जल में घुलकर कार्बोनिक एसिड का निर्माण करती है, जो बाद में धीरे-धीरे अपघटित होकर पुनः जल और कार्बन डाईऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। परन्तु वर्तमान में अत्यधिक वायु प्रदुषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्साइड गैस का स्तर बहुत अधिक बढ़ गया है, इस कारण महासागरों में कार्बोनिक एसिड के निर्माण में बहुत अधिक वृद्धि हुई है जिसके परिणामस्वरूप महासागरों के पानी के पीएच में लगभग -0.1 का बदलाव आया है। इस प्रक्रिया को आमतौर पर महासागर के अम्लीकरण के रूप में जाना जाता है।
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